The haunted incident
सत्य घटना पर आधारित एक कहाँनी ?
ये बात तब की जब में किसी काम के लिए उत्तराखंड से दिल्ली जा रहा था , दिल्ली जाने के लिए मैने देहरादून से बस पकड़ी हुई थी , रात का समय था उसी बस में एक बाबा भी बैठे हुए थे जिनके पास में एक बड़ा सा थैला था , वो उस थैले को अपने सिने से लगाए हुए बैठे थे जबकी सब के समान बस की छत में रखे हुए थे , सिर्फ बाबा ही थे जिन्होनें अपना समान अपने पास अपने सिने से लगाए हुए रखा था , मैने सोचा की हो ना हो इनके थैले में जरुर कोई न कोई बैस कीमती चीज़ है, तभी ये इसे एसे अपने सिने से चिपकाए हुए हैं ।
गुप अन्धेरे में बस चलती जा रही थी ओर मेरी उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी, ये जानने के लिए की आखिर बाबा के थैले में है क्या? में इससे पहले कुछ पुछता बाबा के पास एक लड्की बैठी थी उसने बाबा से पुछा-की बाबा आपके थैले में एसा क्या हैं ? जो आप इसे एसे अपने सिने से लगाए बैठे हैं ।
लड्की की बात सुनकर बाबा पहले थोड़ा मुस्कुराय ओर
फिर थोड़ा सोच कर बोले - गांड दे तब बताऊंगा । लड़की बाबा के मुहँ से ये बात सुनकर पानी-पानी हो गई ( मतलब शर्मा गई) ओर बस की पीछे वाली शिट पर जाकर बैठ गई ।
मैं बाबा से पीछे वाली सीट पर बैठा था ,बाबा की बात सुनकर मैं मन ही मन सोचने लगा की अच्छा हुआ मैने बाबा से थैले के बारे में नहीं पुछा वरना बाबा मुझसे भी मेरी गांड मांग लेते ओर में भी फिर पानी-पानी हो जाता ।
लेकिन थैले में क्या है ? ये जाने बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा था , तो कुछ देर बाद थोडी सी हिम्मत दिखाते हुए" मैनें भी बाबा से पुछ ही लिया" की बाबा इस थैले में एसा क्या हैं जो तुमने इसे एसे अपने सिने से चिपकाया हुआ है? बाबा ने मुझे भी वही बोला जो उस लड्की को बोला था - गांड दे तब बताऊंगा ।
बाबा के मुहँ से ये बात सुनकर मेरी गांड फट गई ओर चुपचाप बैठ गया ।
थोडी दूर जाकर एक जंगल में बस ड्राईवर ने बस रोक दी ओर बोला जिसको भी टट्टी-पैशाब करनी है कर लो 15मिनट बाद बस दोबारा चलेगी ।
चारो तरफ अन्धेरा था , मैने सोचा अब तो भोस्ड़ीका बाबा अपने थैले को छोड़कर टट्टी-पैशाब करने के लिए नीचे जाएगा , तब में थैले के अन्दर चुपके से देख लूँगा की बाबा के थैले में है क्या ? लेकिन बाबा निकला मादरचोद साला मुतने के लिए भी अपना थैला साथ लेके मुतने के लिए नीचे उतरा ,तो में भी बाबा के पीछे-पीछे उतर गया ।
मुझे गुस्सा आ रहा था ओर मैने इस बार गुस्से में बाबा से पुछा -" बे बता दे न लव्ड़े ? है क्या तेरे थैले में ।"
पर बाबा ने फिर वही जवाब दिया जो पहले दिया था -गांड दे तब बताऊंगा ।
15मीनट बाद बस चलने लगी ओर बाबा ने अपना थैला मुझे दे दिया । अब तू ये सोच रहा होगा की बाबा ने अपना थैला मुझे अपने आप दे दिया-तो भाई तू गलत है । जंगल में 15मीनट के अन्दर मेरे साथ क्या हुआ वो में तुझे खुल के नहीं बता सकता ।
खैर मुझे ये जानना था की बाबा के थैले में हैं क्या ? ओर वो मैने कर दिखाया अब थैला मेरे पास था , ओर मैनें थैला खोलना शुरु किया जब मैने थैला खोला-थैले के अन्दर जो था उसे देखकर मेरी गांड फट गई , मेरे ट्टटे मुहँ में आ गए ।
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अगर तू जानना चाहता है कि उस थैले में क्या था ? तो तुझे मुझे अपनी गांड देंनी पडेगी।
समझा लव्ड़े ? 😁
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